दिया और मैं झूले पर उतर कर गंदा हो गया, हमारे शरीर परमानंद में डूब गए। उसने मुझे अपने गर्म दूध, अपने सार से भरे मेरे मुँह को गटक लिया। हमारा जंगली तांडव जारी रहा, आनंद की गहराइयों की खोज।